Kalyug Bolya Prikshit Taahi
कलयुग बोल्या परीक्षित ताहीं
मेरा ओसरा आया
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया
सोने कै काई ला दूंगा
आंच साच पै कर दूंगा
वेद-शास्त्र उपनिषदां नै मैं सतयुग खातिर धर दूंगा
असली माणस छोडूं कोन्या
सारे गुंडे भर दूंगा
साच बोलणियां माणस की मैं रे-रे-माटी कर दूंगा
धड़ तैं सीस कतर दूंगा
मेरे सिर पै छत्र-छाया
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया
मेरे राज मैं मौज करैंगे ठग डाकू चोर लुटेरे
ले-कै दें नाकर-कै खां ना
ऐसे सेवक मेरे
सही माणस कदे ना पावै
कर दूं ऊजड़-डेरे
पापी माणस की अर्थी पै जावैंगे फूल बिखेरे
ऐसे चक्कर चालैं मेरे मैं कर दूं मन का चाहया
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया