• Brihaspativar Vrat Katha (बृहस्पतिवार (गुरुवार) व्रत कथा)

    Brihaspativar Vrat Katha (बृहस्पतिवार (गुरुवार) व्रत कथा)

    एक समय की बात है। एक नगर में एक बहुत ही धनवान पुरुष अपनी पत्नी के साथ रहता था। दोनों धार्मिक स्वभाव के थे, परंतु धन के अहंकार के कारण वे किसी को दान-पुण्य या अतिथि-सत्कार नहीं करते थे। उनके घर में अपार धन-संपत्ति होते हुए भी लक्ष्मी का ठहराव नहीं था। कथा का आरंभ…

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  • Somvar Vrat Katha (सोमवार व्रत कथा)

    Somvar Vrat Katha (सोमवार व्रत कथा)

    प्राचीन समय की बात है। एक धनवान व्यापारी था। उसके पास अपार धन-दौलत, घर, गाड़ी-बैल, नौकर-चाकर सब कुछ था, परंतु उसकी कोई संतान नहीं थी। संतान सुख के लिए उसने बहुत से यज्ञ, हवन, दान और व्रत किए, परंतु उसे संतान की प्राप्ति नहीं हुई। व्यापारी और उसकी पत्नी दोनों बहुत दुखी रहते। एक दिन…

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  • एकादशी व्रत कथा (Ekadashi Vrat Katha)

    एकादशी व्रत कथा (Ekadashi Vrat Katha)

    एक समय राजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा – “हे जनार्दन! कृपया एकादशी व्रत का महत्व बताइए।”भगवान श्रीकृष्ण बोले – “पार्थ! कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है। इस व्रत से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में…

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  • चैतन्य महाप्रभु – प्रेम और भक्ति के अग्रदूत

    चैतन्य महाप्रभु – प्रेम और भक्ति के अग्रदूत

    चैतन्य महाप्रभु भारत के महान संतों और धार्मिक सुधारकों में गिने जाते हैं। 1486 ईस्वी में बंगाल के नवद्वीप में जन्मे महाप्रभु को उनके अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मानते हैं। उनका जीवन और उपदेश भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ बने, जिनमें ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग प्रेम, नम्रता और निरंतर नाम-संकीर्तन बताया गया। प्रारंभिक…

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